भोपाल / कमलापति प्रतिमा का दोपहर में अनावरण, शाम तक पट्टिका गायब; मेयर बोले- कांग्रेस नवाब संस्कृति की पोषक है

नगर निगम परिषद का कार्यकाल समाप्त होने में दो दिन बचे हैं। उपलब्धियों का श्रेय लेने के लिए भाजपा और कांग्रेस में होड़ मची हुई है। भोपाल की ऐतिहासिक शख्सियत रानी कमलापति की मूर्ति के अनावरण को लेकर रविवार को दिनभर जो ड्रामा हुआ, उसे दोनों दल शाम तक आदिवासी वोट बटोरने की रणनीति में बदल चुके हैं। 



रविवार दोपहर छोटे तालाब पर रानी कमलापति की मूर्ति के अनावरण के दौरान स्थानीय पार्षद शबिस्ता जकी काले झंडे दिखा रहीं थीं और महापौर आलोक शर्मा ने प्रतिमा का अनावरण कर रहे थे। कार्यक्रम के लिए छपे कार्ड में नाम दर्ज होने के बावजूद प्रदेश सरकार का कोई मंत्री और कांग्रेस विधायक कार्यक्रम में नहीं आए। कहा गया कि मूर्ति स्थापना करने से लेकर कार्यक्रम के आयोजन के लिए नगर निगम ने जिला प्रशासन ने कोई अनुमति नहीं ली है। शाम को अनावरण पट्टिका  हटा ली गई। लेकिन न तो जिला प्रशासन और न नगर निगम के अफसर इसकी जिम्मेदारी ले रहे हैं।


बताया जाता है कि महापौर ने स्वयं डॉ. गोविंद सिंह और पीसी शर्मा से कार्यक्रम को लेकर चर्चा की थी। इसी चर्चा के आधार पर कार्यक्रम तय हुआ था। पूरे घटनाक्रम के बाद महापौर शर्मा ने आरोप लगाया कि कांग्रेस नवाब संस्कृति की पोषक है। कांग्रेस को मूर्तियों से नफरत है, चाहे वह रानी कमलापति की मूर्ति हो या चंद्रशेखर आजाद की या शिवाजी की।


15 फरवरी



  • दोपहर में नगर निगम ने प्रतिमा अनावरण समारोह के कार्ड वितरित कराए। इसमें कांग्रेस और भाजपा दोनों दलों के जनप्रतिनिधियों के नाम हैं। {शाम को मंत्री पीसी शर्मा ने निगमायुक्त बी दत्ता से कहा कि वे शहर से बाहर हैं।

  •  पार्षद शबिस्ता ने निगमायुक्त को कहा कि वे कार्यक्रम का विरोध करेंगी।

  •  देर शाम प्रभारी मंत्री डॉ. गोविंद सिंह ने निगमायुक्त से पूरे विवाद की जानकारी ली और उन्हें कार्यक्रम टालने को कहा। 


16 फरवरी 



  •  सुबह 10 बजे प्रभारी मंत्री डॉ. सिंह ने सीएम कमलनाथ से चर्चा की और कार्यक्रम में न जाने का फैसला लिया। निगमायुक्त को भी फिर संदेश भिजवाया कि अनावरण रोकें।

  •  सुबह 10:30 बजे कार्यक्रम शुरू होने से पहले ही शबिस्ता और उनके पति आसिफ जकी ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया

  •  सुबह 11 बजे तक पूर्व मंत्री विश्वास सारंग, विधायक कृष्णा गौर, निगम परिषद अध्यक्ष सुरजीत चौहान और कांग्रेस पार्षद गिरीश शर्मा सहित भाजपा नेता पहुंचे।

  •  सुबह 11:30 बजे महापौर पहुंचे तो शबिस्ता व प्रदर्शनकारियों ने गाड़ी रोकने की कोशिश की और महापौर का पुतला जलाया।

  •  दोपहर 12 बजे  मेयर ने डॉ. सिंह से फोन पर बात की। उन्होंने बिना अनुमति के कार्यक्रम न करने को कहा।

  •  दोपहर 12:15 बजे प्रतिमा का अनावरण हुआ

  •  दोपहर 12:45 बजे  महापौर कार्यक्रम स्थल से रवाना हुए तो प्रदर्शनकारियों ने उन्हें रोकने का प्रयास किया। वे रास्ता बदलकर मिंटो हॉल पहुंचे और 2 बजे तक समर्थकों के साथ गांधी प्रतिमा के समक्ष धरना दिया।  देर शाम अनावरण पट्टिका हटा दी गई। 


पूरे झगड़े की जड़... आर्च ब्रिज की एप्रोच रोड का विवाद


शबिस्ता आर्च ब्रिज की एप्रोच रोड में आ रहे तीन मकानों के विस्थापन का विरोध कर रहीं हैं। उनका आरोप है कि एप्रोच रोड कब्रिस्तान की जमीन पर बनाई जा रही है। उधर, मेयर का आरोप है कि एप्रोच रोड से लगी जमीन पर कब्जा कर शबिस्ता के पति आसिफ जकी जिम चला रहे हैं। हालांकि शबिस्ता का दावा है कि यह जमीन उन्हें आवंटित है।


भाजपा मुद्दे को आदिवासियों से जोड़ रही- भाजपा का आरोप है कि रानी कमलापति की प्रतिमा के अनावरण पर विवाद करके कांग्रेस गौंड (आदिवासियों) का अपमान कर रही है। इस मुद्दे पर पूरे प्रदेश में आंदोलन होगा। संघ प्रमुख के बयान को लेकर पहले ही भाजपा-कांग्रेस आमने- सामने हैं।


आखिर क्यों पीछे हटी कांग्रेस- शबिस्ता के विरोध को देखते हुए मूर्ति स्थापना के लिए संस्कृति विभाग की अनुमति नहीं होने की बात कहकर कांग्रेस ने खुद को कार्यक्रम से अलग कर लिया। प्रतिमाओं के स्वरूप को लेकर कोई विवाद न हो इसलिए संस्कृति विभाग की अनुमति जरूरी की गई है।



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